आज से 9 महीने पहले 10 जनवरी को बुधवार था और 9 महीने बाद फिर से 10 तारीख को बुधवार आया है
#8_March_2018 = #Women’s #Day
मैंने इसी दिन ये विडियो बनाया था ओर अपलोड भी करना चाहा ताकि देश, दुनिया को ये पता चल सके कि हम किस तरह के समाज मे जी रहे है..
जहाँ मेरी सरोज को उसके ही परिवार के सदस्यों ने मार कर लटका दिया और उसे आत्महत्या का रूप दे दिया जबकि सरोज जीना जानती थी, हँस कर.. मुस्कुरा कर.. दुसरो को हँसाना जानती थी तो क्यों वो बिना किसी मतलब के अपनी जान दे देगी जबकि सरोज को ये बात अच्छी तरह से मालूम थी कि अब आने वाला समय उसकी ज़िंदगी मे केवल खुशियां लाने वाला है मगर इज्ज़त के भूखे भेड़ियों ने मेरी सरोज की ज़िंदगी को छीन लिया, ताजुब की बात है सरोज को इज्ज़त के लिए उन लोगो ने मारा जिनका खुद का चरित्र कलंकित है जिन्होंने खुद एक स्त्री के साथ बनने वाले किसी भी रिश्ते की लाज नही रखी। मैं हैरान हूं इस बात पर कि सरोज पुलिस में कार्यरत, सरोज को मारने वाले भी पुलिस में कार्यरत ओर अब सरोज को न्याय दिलाने के लिए एक भी पुलिस कर्मचारी आगे नही आया।
वैसे कुछ लोगों के मन मे सवाल होगा कि सरोज कौन? तो मै बात कर रहा हूँ महिला पुलिस कॉन्स्टेबल #सरोज की जो कि जोधपुर के ओसियां तहसील के ग्राम सिरमण्डी की निवासी थी। ओर जोधपुर के महिला पूर्व थाने में कार्यरत थी।
जिसने अपनी ज़िंदगी को अपने तरीक़े से जीने की चाहत रखी और बदले में उसे मौत मिली।
आज सरोज के मर्डर को 9 महीने हो चुके है ओर सरोज को न्याय के नाम पर मिली सिर्फ सांत्वना..
पर मैं चुप नही बैठूँगा अब बहुत समय दिया सभी को सरोज की मौत की सच्चाई को बाहर लाने के लिए।
दिक़्क़त है हमारे समाज मे, समाज की सोच में, जानते सभी है सरोज का खून हुआ है उसे मार कर लटका दिया गया है पर सब चुप चाप तमाशा देखने मे लगे हुवे है, क्यूँ..? वो इसलिए कि हमे आदत हो गयी है तमाशे देखने की, इस से अच्छा तो बिना आज़ादी के ही सही रहे होंगे, पहले हम अंग्रेजों के गुलाम रहे और आज हम अपनी मानसिकता के गुलाम.. पर में चुप नही बैठ सकता।
हम ऐसे समाज मे रहते है
जहाँ इज्ज़त के नाम पर आज भी सिर्फ बेटियों की ही बलि चढ़ाई जाती है
मुझे ऐसा पुरुष प्रधान समाज, देश नही चाहिए जहां समानता की बात आने पर स्त्री को मार कर लटका दिया जाए और बाकी सभी तमाशा देखते रहे।
यहाँ तक कि महिलाएं भी कुछ न बोले.. पर मैं चुप नही बैठ सकता..
आज राज्य की मुख्यमंत्री कोई और नही एक महिला ही है.. उन्हें देखना चाहिए एक लड़की जिसने खुद को बचाने के लिए हर वो प्रयास किया जिसमें आम आदमी बच ही जाता है पर एक पुलिसकर्मी नही बच पायी।
Geplaatst door Hemant Mohanpuriya op Zondag 14 oktober 2018